*भागवत कथा के सातवें दिन श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़*
*भगवान कृष्ण और सुदामा के मिलन प्रसंग पर भावविभोर हुए श्रोता*
*संवाद : माता चरण पांडे*
बरईपार। क्षेत्र के सकरा ग्राम पंचायत में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास श्रीनिवासाचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण और उनके परम भक्त सुदामा के मिलन प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।

पूज्य श्री ने कहा, “पानी परात को हाथ छुओ नहीं, नैनन के जल से पग धोए” — यह पंक्ति भगवान श्रीकृष्ण के सच्चे मित्रभाव और प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि सुदामा के त्याग, भक्ति और विनम्रता से भगवान स्वयं अभिभूत हो गए थे। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन की भव्य झांकी भी निकाली गई, जिसे देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
कथाव्यास ने सुदामा चरित्र, द्वारका लीला, नव योगेश्वर कथा और परीक्षित मोक्ष प्रसंग का भी विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सुदामा का जीवन यह सिखाता है कि भक्ति में दरिद्रता नहीं, भाव की समृद्धि ही सर्वोपरि है।
कथा पंडाल में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु उपस्थित रहीं। कथा के समापन पर प्रसाद वितरण हुआ, जिसमें सुदामा द्वारा ले जाए गए तंदुल (चावल) को प्रसाद रूप में श्रद्धालुओं ने बड़े भावपूर्वक ग्रहण किया।
इस अवसर पर मुख्य यजमान चिंतामणि पांडेय एवं उनकी पत्नी सरोजा देवी ने कथा में पधारे श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. अमरनाथ पांडेय, रमाशंकर, माता शंकर पांडेय, देवी प्रसाद पांडेय, बंशी, पुनीत पांडेय, सुनीत पांडेय, विनय पांडेय सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे।
