*विकास खण्ड लम्भुआ में महंगा बीज लेने को मजबूर किसान*
अशोक कुमार वर्मा
*लम्भुआ सुल्तानपुर*
जनपद सुल्तानपुर के विकास खण्ड लम्भुआ में किसान सरकारी बीज की खरीद महंगे मूल्य 1100 रु में खरीदने के लिए विवश और लाचार है लचर व्यवस्था को मानने के लिए किसान मजबूर दिखाई दे रहा है वहीं अगर किसान का हाल जानना है
तो किसान महंगी खाद खरीदने के लिए भी मजबूर है डीएपी यूरिया के लिए जगह-जगह जाकर हैरान हुआ परेशान है सरकार अपनी व्यवस्थाओं को कब सुधरेगा यह कहीं धरातल पर दिखाई नहीं देता है सरकार में बैठे अधिकारी व कर्मचारी अपनी मनमानी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं वहीं नहर विभाग का भी बुरा हाल बना हुआ है फिलहाल पानी की जरूरत तो नहीं है बरसात के कारण 90% धान की फसल खेत में ही गिरकर जमने लगी किसान अपने हाल पर सारी मुसीबत को झेलने के लिए विवस दिखाई दे रहा है अधिकारियों की समझ तो किसान को सम्मान निधि मिल रही है समझने वाली बात यह है कि किसान सम्मन निधि ₹6000 मिलकर आखिर किसान अपनी कौन सी समस्या हल कर लेगा मजबूर किसान सिर्फ आत्महत्या के कगार पर खड़ा है वही कहावत है की
*सखी सैंया तो खूब ही कमात है।*
*महंगाई डायन खाए जाते है।।*
यदि किसानों की समस्याओं को नजर अंदाज किया गया तो उत्तर प्रदेश की ही नहीं समुचे भारत की स्थिति खराब होने में बहुत समय नहीं लगेगा और अन्नदाता जब परेशान होता है तो उसके दिल से दुआएं नहीं निकलती है
और वह बद्दुआ भी नहीं देता है लेकिन धीरे-धीरे समुचे भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा कहने को भारत कृषि प्रधान देश है लेकिन समस्याएं अनगिनत हैं काग ने कहा था *का बरस्या जब कृषि सुखाने* सरकार सारी व्यवस्थाएं करें भी तो समय बीतने के बाद आखिर पैदावार पर कितना फर्क पड़ेगा यह किस से अच्छा कोई नहीं समझता है आज का काम चल करने पर खेती और किसान की दुर्दशा तय है
