*”जय जवान जय किसान” के नारे की गूंज लम्भुआ में किसानों के समर्थन में सत्याग्रह पर उतरे प्रभात कुमार सिंह*
अशोक कुमार वर्मा
*लम्भुआ सुलतानपुर*
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया “जय जवान जय किसान” का नारा आज के हालात में किसानों के लिए एक विडंबना बन गया है। यदि शास्त्री जी स्वर्ग से आज की स्थिति देख रहे होते, तो निश्चित ही उन्हें घोर पीड़ा होती। वह अन्नदाता, जो धरती का सीना चीरकर पूरे देश को भोजन देता है, आज तपती दोपहरी और उमस भरी गर्मी में अपने अधिकारों के लिए अन्न जल त्याग कर सत्याग्रह करने को मजबूर हो गया है।
लम्भुआ तहसील में चल रहे किसान सत्याग्रह आंदोलन के तहत समाजसेवी प्रभात कुमार सिंह अन्न-जल त्याग कर धरने पर बैठे हुए हैं। उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है, जिसको लेकर हर चार घंटे पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। क्या प्रशासन किसी अनहोनी की प्रतीक्षा कर रहा है?

ऐसे समय में लम्भुआ के नागरिकों से एक बड़ा सवाल है — क्या हम उस व्यक्ति के साथ खड़े हैं, जो न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए संघर्ष कर रहा है? प्रभात कुमार सिंह ने लम्भुआ के अस्पताल में सुधार, पावर हाउस में बदलाव, किसानों के लम्बित कार्यों को प्रशासन से करवाने जैसे अनेक कार्य किए हैं। ऐसे सच्चे समाजसेवी के समर्थन में हम सबको आगे आना चाहिए।
अब समय आ गया है कि हम तानाशाही और अहंकारी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाएं और सत्याग्रह कर रहे किसानों व समाजसेवियों का मनोबल बढ़ाएं। तभी लोकतंत्र की असली ताकत दिखाई देगी।