*वरासत दर्ज करने में लेखपाल की मनमानी, उच्चाधिकारियों का शह*
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*माता चरण पांडे*
*संवाददाता तीखी आवाज मछली शहर*
मछलीशहर तहसील में जहां वरासत के मामले दर्ज करने में लेखपालों की मनमानी तो होती रही है, सरकार की सख्ती एवं कई बार अभियान चलाने पर भी अभी कई गांवों में अधिकतर वरासत नही हुए हैं, तहसील में तैनात राजस्व लेखपाल वरासत अभियान को भी ठेंगा दिखाते हैं। लेखपाल की मनमानी का खामियाजा किसान को भुगतना पड़ता है, लेखपाल समय रहते वरासत कर दे तो किसान कागजी झंझट से मुक्त रहे। वरासत के मामले में सक्षम अधिकारी भी सुस्त रहते है। सरकार ने किसानों की समस्या को देखते हुए ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा तो दे दिया है, परंतु उस पर लेखपाल रिपोर्ट में लेट लतीफी कर किसान को तहसील के चक्कर काटने पर मजबूर कर देते है। वरासत के मामलों की निगरानी के लिए उपजिलाधिकारी मछलीशहर द्वारा कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं कि गई है।
कुछ ऐसा ही कारनामा मछलीशहर तहसील के बरईपार सर्किल क्षेत्र के चोरहा गांव में तैनात लेखपाल राजेश यादव का है, जो अक्सर विवादों में घिरे रहते है और सरकार एवं प्रशासन के आदेशों को दरकिनार रखते है। बरईपार गांव निवासी एक व्यक्ति द्वारा वरासत के लिए आवेदन किया गया। उक्त लेखपाल ने बिना जांच किए असहमति दर्ज करते हुए यह रिपोर्ट लगाया की वारिसों के बारे में सही जानकारी प्राप्त नहीं हुई, लेखपाल द्वारा यह रिपोर्ट चर्चा का विषय है, ग्रामीणों की माने तो लेखपाल क्षेत्र में रहते ही नहीं तो वारिसों की जानकारी कैसे प्राप्त करेंगे। राजस्व निरीक्षक का कहना है की फिर से आवेदन ऑनलाइन कर दीजिए।
सरकार की योजना के अनुसार
किसान की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारियों का नाम खतौनी में अविवादित वरासत के तौर पर दर्ज होता है। मौजूदा व्यवस्था में किसी किसान की मृत्यु की खबर मिलने पर लेखपाल गांव में जाता है, संबंधित परिवार की जमीन के दस्तावेज देखता है और उसके आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। लेखपाल अपनी रिपोर्ट राजस्व निरीक्षक के माध्यम से संबंधित तहसील को भेजता है जहां कम्प्यूटरीकृत खतौनी में वरासत दर्ज की जाती है। वरासत दर्ज करने में अक्सर लेखपाल मनमानी करते हैं। वरासत दर्ज कराने के लिए लोगों को लेखपालों की गणेश परिक्रमा करने के साथ ही उनकी मुट्ठी भी गर्म करनी पड़ती है।
राजस्व निरीक्षक भी वरासत संबंधित मामलों में गम्भीरता नही दिखाते है, मछलीशहर तहसील में तो कुछ राजस्व निरीक्षक बिना पढ़े ही लेखपाल की रिपोर्ट को भी अग्रसारित कर देते है, सूत्रों की माने तो लेखपाल सीधा उच्चअधिकारियों के संपर्क में बने रहते है जिससे उनकी गलतियों को भी राजस्व निरीक्षक उजागर करने में डरते है, पूर्व में रजिस्टार कानूनगो के पद अहम महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते थे, जो की अधिकारियों को लेखपाल की कार्यप्राणली से अवगत करा दिया करते थे, कुछ समय से मछलीशहर तहसील में लेखपाल के ट्रांसफर एवं पोस्टिग को स्वयं अधिकारी रातों रात बदल देते है। रजिस्टार कानूनगो एक लिपिक का कार्य कर वही तक सीमित है। सूत्रों की माने तो रजिस्टार लेखपाल के हल्का बदलने की संस्तुति भी करना चाहे तो अधिकारी उसे दरकिनार कर देते है। सरकार की सख्ती बरतने के बावजूद भ्रष्टाचार की सीमा लाघने में मछलीशहर तहसील अव्वल है।