उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जू में बब्बर शेर पृथ्वी की मौत।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जू में बब्बर शेर पृथ्वी की मौत।
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सुशील कुमार शुक्ल
जिला संवाददाता तीखी आवाज, लखनऊ, रविवार
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लखनऊ जू में पिछले 21 दिन से बीमार चल रहे बब्बर शेर पृथ्वी की मौत हो गई है। वह 21 दिन से बीमार चल रहा था। बीमारी की वजह से वह कई दिनों से खाना पीना छोड़ रखा था। उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रहे थीं। शनिवार शाम को उसने दम तोड़ दिया। उसकी मौत की पुष्टि जू की निदेशक आदिति शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी की उम्र काफ़ी ज्यादा हो गई थी। वह कुछ दिनों से बीमार चल रहा था। वह ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा था। उसे बस तरल पदार्थ ही दिया जा रहा था। आज उसकी मौत हो गई। बब्बर शेर का इलाज कर रहे लखनऊ चिड़ियाघर के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. उत्कर्ष शुक्ला कहते हैं कि, बब्बर शेर की उम्र 18 से 20 साल की होती है। पृथ्वी 17 साल हो गई थी। यानी उसके बुढ़ापे का वक्त चल रहा है। इस स्टेज में आते –आते शेरू की हड्डियां कमजोर होने लगती है। इससे उनको चलने में तकलीफ होने लगती है। पृथ्वी के केस में यह कह सकते हैं कि उसका बुढ़ापा थोड़ा जल्दी शुरू हो गया है। उसे ठीक करने के लिए जीवन रक्षक दवाओं के साथ इंट्रावेनस फ्लूड दिया जा रहा था। 8 साल पहले जब पृथ्वी को लखनऊ जू में लाया गया था, तो उसकी दहाड़ पूरे चिड़ियाघर में गूंजती थी। इसके लिए अलग से गुफा भी तैयार कराई गई, जिसमें वह दिन भर घूमता रहता था। वह दिखने में इतना खतरनाक था कि जू के की पर भी इसके बाड़े में सावधानी से खाना रखते थे। तभी भोजन देखकर वह दहाड़ ते हुए दौड़ा दौड़ा चला आता था। लेकिन पिछले कई दिनों से एक कदम चलने में भी उसको परेशानी झेलनी पड़ती थी। चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक, ऐसा पहली बार हुआ है जब पृथ्वी बीमार पड़ा था। कोविड के समय में भी बब्बर शेर पूरी तरह फिट था। उसे कभी इलाज के लिए अस्पताल नहीं लाना पड़ा। फिलहाल उसे जिस वार्ड में रखा गया था, वहां पीने के पानी के साथ साथ उसे गर्मी से बचाने के लिए कूलर लगाया गया था। हालांकि लंबे संघर्ष के बाद वह जीवन हार गया। चिड़ियाघर में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि, पृथ्वी को जब लखनऊ चिड़ियाघर में लाया गया, तब वह बहुत तेज था। लोग चिड़ियाघर सिर्फ उसकी दहाड़ सुनने के लिए आते थे। लेकिन उम्र बीतने के साथ पृथ्वी दिन ब दिन कमजोर होता जा रहा है। पहले वह 1 दिन में 10 से 12 किलो मांस खा लेता था, लेकिन अब वह ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा है। लखनऊ जू के वरिष्ठ डॉक्टर आप तो कहते हैं कि पृथ्वी जब जवान था, तब उसका वजन 200 किलो के करीब था। उसकी मजबूत कद काठी और फुर्ती देखने लायक होती थी। लेकिन अब बुढ़ापे में उसका वजन 50 किलो हो गया था। जिस दिन उसे अस्पताल में शिफ्ट किया गया, उसका वजन 150 किलो था।

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