*लम्भुआ कोतवाली और ग्राम प्रधान के सामने माने नहीं रखता न्यायालय का स्थगन आदेश* 

*लम्भुआ कोतवाली और ग्राम प्रधान के सामने माने नहीं रखता न्यायालय का स्थगन आदेश*

 

तीखी आवाज

अशोक कुमार वर्मा

 

*लम्भुआ सुल्तानपुर*

 

स्थगन आदेश के बाद भी प्रधान और ग्राम विकाश अधिकारी ने कर दिया बड़ा खेल सरकारी धन से बनवा दिया खड़ंजा

 

 

एक तरफ सरकार संविधान पखवारा मना रही है दूसरी तरफ आईपीसी को बदल कर (बीएनएस)

भारतीय न्याय संहिता और सीआरपीसी को बदल कर (बीएनएसएस) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता रखा गया कहा जाता है नाम बदलने से नहीं न्याय मिलने से जनता का भला होगा।

प्रकरण सुल्तानपुर जिले के लम्भुआ तहसील अंतर्गत घरवासपुर ग्राम सभा के रहतीपुर गांव का है,सूर्यनारायण ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र के साथ न्यायालय के स्थगन आदेश की कॉपी लगाते हुए कहा है की प्रार्थी के गाटा संख्या 299 जो संक्रमणिय सहभूमिधर है जिसमे बिपक्षी रामसेवक ने प्रार्थी व अन्य के विरुद्ध न्यायालय मे वाद संख्या

1257/2004 देते हुए उसी विवादित गाटा के सम्बन्ध मे माननीय जिला जज सुल्तानपुर के न्यायालय मे राम सेवक द्वारा ही सिविल निगरानी 57/2005 राम सेवक बनाम राम सिरोमणि भी दिया जिसपर न्यायालय द्वारा 30/04/2005 को वाद निस्तारण तक भूमि पर स्थगन आदेश दें दिया जो अभी तक बरकरार है लेकिन ग्राम प्रधान सुमन यादव और ग्राम विकास अधिकारी घरवासपुर हरिकेश कनौजिया ने राम सेवक को लाभ पहुँचाने और विवाद को बढ़ावा देते हुए स्थगन आदेश पारित भूमि पर आरसीसी खडनजे का निर्माण कराते हुए सरकारी धन का भी दुरूपयोग किया है जिससे प्रार्थी को आर्थिक और मानसिक क्षति हुई,प्रार्थी ने निर्माण के समय लम्भुआ कोतवाली समेत रूपी का पूरा पुलिस चौकी इंचार्ज कमलेश दुवे से भी न्याय की गुहार लगाते हुए न्यायालय के आदेश के अनुपालन कार्यवाही करने का रोना रोता रहा परन्तु भारतीय न्याय संहिता या भारत के न्याय पालिका को अंगूठा दिखाते हुए कही से भी न्याय नहीं मिला उपरोक्त ने मुख्यमंत्री को न्याय मांगने के लिए पत्र लिखा है अब देखना दिल. चस्प होगा की क्या न्यायलय के स्थगन आदेश के बाद भी जहाँ ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी द्वारा सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया क्या कार्यवाही होती है या सरकारी धन को हर बार की तरह अवमुक्त करते हुए एक और भ्रस्टाचार बढ़ाया जाता है।

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