*अटाला मस्जिद मामले में सुनवाई जारी,नए तथ्य सामने आये*
अरुण कुमार जायसवाल

जौनपुर :अटाला मस्जिद के मामले में शनिवार को सिविल जज सुधा शर्मा की कोर्ट में बहस हुई। इस दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि विपक्षी पीस कमेटी मुकदमे में जवाबदेही नहीं दाखिल कर रहे हैं।इसलिए उनका अवसर समाप्त कर दिया जाए।
कानून यह है कि किसी मुकदमे में प्रतिवादी हाजिर होने के बाद यदि 30 दिन या 90 दिन के भीतर जवाब नहीं दाखिल करता है तो उसका अवसर समाप्त कर मुकदमा निर्णित कर दिया जाए। वहीं प्रतिवादी के पक्ष से अपना तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी मुकदमे में फाइनल आर्डर व सर्वे आर्डर पर रोक लगा रखा है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि आप जो भी कहना चाहते हैं लिखित में दीजिए। इस पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम कार्रवाई के लिए पत्रावली रख लिया है। गत पांच मार्च को हुई सुनवाई पर भी वादी पक्ष की ओर से यही तर्क दिया गया था।
स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्र ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया है। कहा है कि 13 वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने अटला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था। इसमें हिंदू धर्म के लोग पूजन-कीर्तन करते थे।
तेरहवीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर आक्रमण किया और जौनपुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसने अटला देवी मंदिर की भव्यता देखकर उसमें तोड़-फोड़ कराया। हिंदू धर्मावलंबी के प्रबल विरोध के कारण पूरी तरह तोड़ नहीं पाया और मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का आकार दिया जो वर्तमान में अटाला मस्जिद है।
सनातन धर्म के व्यक्तियों का वहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। अटाला मस्जिद अटला देवी का मंदिर है। यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी एवं रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है। मंदिर के खंभों आदि पर आज भी हिंदू स्थापत्य एवं वास्तुकला, हिंदू रीति-रिवाज के चिन्ह एवं अवशेष मौजूद हैं। सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजन-कीर्तन करने का अधिकार है।