*ग्राम पंचायत सोशल आडिट मे खुली पोल,सीआईबी बोर्ड के साथ गायब है कार्यों की फाइल*
अशोक कुमार वर्मा
सोशल ऑडिट मे मनरेगा से हुए कार्यों की स्थलीय निरीक्षण के साथ खुली बैठक करके ग्रामीणों से मनरेगा मजदूरों से कार्यों का सत्यापन किया जाता है
सत्यापन के बाद यदि कार्यों मे शिकायत मिलती है तों उसकी रिपोर्ट बना कर शासन को भेजी जाती है फिर शाशन के निर्देशानुसार रिकवरी या जो भी आदेश होता है तों किया जाता है,
लम्भुआ मे शोशल ऑडिट चार दिन के लिए है क्योकि इसमें श्रम विभाग से जुड़े कार्यों का सोशल ऑडिट किया जा रहा है,बरेहता ग्राम सभा मे लगभग 52 लाख का कार्य हुआ है

लेकिन तकनीकी सहायक के मिली भगत और तकनीकी सहायक के घुसखोरी के चलते जिओ टैग कर दिया जाता है

और ग्राम पंचायत सचिव और एपीओ मनरेगा की मिली भगत से बिना नागरिक सूचना बोर्ड लगे ही फर्जी तरीके से कार्य दिखा कर ठेके पर कार्य करवा कर जेसीबी से कार्य करवा कर उसे मनरेगा की फर्जी हाजिरी लगवा कर पैसो का बंदर बाट कर लिया गया है

सूत्रों की माने तों सीआईबी बोर्ड जो बरेहता प्रधान द्वारा लिया भी गया है उसका भुगतान लगाने के लिए साल भर से समूह की महिला प्रधान और ग्राम

पंचायत सचिव के पीछे पीछे दौड़ रही है हमेशा प्रधान द्वारा सिर्फ कमीशन के लिए यह कहा जाता रहा की फाइल नहीं मिल रही रही है मिल जाएगी तो पेमेंट लगा दिया जायेगा आज सोशल आडिट मे समूह की महिला जब पहुँच कर वहाँ की ऑडिटर से बात करना चाहिए तो प्रधान और सचिव ने बात नहीं करने दिया यहाँ तक की बीआरपी ने भी बात करने से माना कर दिया, पत्रकारों ने जब सोशल आडिटर से जानकारी चाही तो ऑडिटर ने पत्रकारों से अभद्रता करते हुए कहा की फाइल मिले या ना मिले आपको मैं क्यों बताऊ या क्यों दिखाऊ आप होते ही कौन है मेरा काम है मैं कर रही हूं 12 बजे ही बिना किसी ग्रामीणों के पहुंचे ही प्रधान और पंचायत सचिव द्वारा जो भी चाय पानी की व्यवस्था थी कर के आडिटर वहाँ से निकल रहे थे लेकिन पत्रकारों की टीम पहुँचने पर वहाँ बैनर लगा कर दोबारा से उन्हें बैठते देखा गया क्या है सीआईबी बोर्ड बारे मे ऑडिटरो ने वही पुराना रटा रटाया एक जवाब दिया की बोर्ड ना ना ही पेमेंट हुआ है ना ही बोर्ड लगा है इस लिए बीत्तीय अनियमितता नहीं मानी जाएगी,यही हाल भरखरी ग्राम सभा का रहा है वहाँ भी सीआईबी बोर्ड ना लगे ही है ना ही पेमेंट ही हुआ है लेकिन जीतने कार्य कराय गए है सभी कार्य पूर्ण मिले है कोई शिकायत ऑडिटरो को नहीं मिली जब हमारी पत्रकारों की टोली लम्भुआ 2 बजे भरखरे का हाल जानना चाहा और वहाँ पहुंचने पर ऑडिटर को फोन कर के जानकारी लिया गया तो बताया गया की हम लोग थे वही थे गांव मे की की मृत्यु हो गई है ग्रामीणों को जाना था इस लिए कार्य जल्दी पूर्ण कर के खत्म कर लिया गया है हम भी अभी निकल गए है
*क्या है सी आई बी बोर्ड-* सी आई बी बोर्ड यानी नागरिक सूचना बोर्ड यदि ग्राम सभा मे कोई कार्य होना होता है तो सबसे पहले ब्लॉक मे तैनात तकनिकी सहायक सहायक द्वारा इस्टीमेट बनाया जाता है उस कार्य स्थल पर पहले नागरिक सूचना बोर्ड लगता है जिससे गांव की जनता को यह जानकारी हो सके इस कार्य को कहाँ से कहाँ तक करवाया जा रहा है किस विभाग से और किस मद से यह कार्य हो रहा है सरकार मेरे ग्राम सभा मे इस कार्य के लिए कितना पैसा प्रधान को दिया है प्रधान द्वारा कितना पैसा ख़र्च किया जा रहा है इसके बाद टेंडर होता है जिसका पेपर मे बकायदा गजट होता है लेकिन यहाँ भी एक खेल है जिस अख़बार का नाम ही नहीं जानते होंगे उस अख़बार मे गजट मिलेगा आपको इसके बाद कार्य शुरू होता है लेकिन यहाँ तो नागरिक सूचना बोर्ड ही नहीं लगाए जा रहे है आखिर कार जब बोर्ड नहीं लगना है तो जिओ टैग का क्या मतलब या यू कहे की तकनिकी सहायक का मतलब ही क्या है ब्लॉक मे,भ्रस्टाचार की शुरुवात नागरिक सूचना बोर्ड से ही शुरू की जाती है।
*सोशल कोऑर्डिनेटरो का क्या कहना है सी आई बी पर-* जब सोशल आडिट टीम के कोऑर्डिनेटर से इसकी जानकारी चाही जाती है तो प्रधानो द्वारा जो पढ़ाया गया है रटा रटाया जवाब दिया जाता है की ना ही नागरिक सूचना बोर्ड का भुगतान हुआ है ना ही बोर्ड लगा है यदि भुगतान हुआ होता और बोर्ड ना लगा होता तो वो वित्तीय अनियमितता मानी जाती
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