*शक्ति रूपेण संस्थिता*
*सिद्धपीठ आदिशक्ति महाकाली मंदिर*
डॉ संजय सिंह
सिगरामऊ बाजार में स्थित अतिप्राचीन मंदिर सिद्धपीठ आदिशक्ति महाकाली मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए आस्था व विश्वास का केंद्र बना हुआ है। तत्कालीन सिंगरामऊ रियासत के बैसवंशीय शासक राजा राय रणधीर सिंह ने इस मंदिर की स्थापना करके बैसवारा की पूज्यनीय देवी महाकाली मां की मूर्ति की स्थापना की थी। तत्कालीन राजा ने इस मंदिर की स्थापना करके कुलदेवी से प्रार्थना की थी यहां पर पहुंचकर हाजिरी लगाने वालों की हर मनोकामना पूर्ण हो। नवरात्र पर्व में यहां भारी भीड़ लगती है।
मंदिर की पौराणिकता
यह मंदिर अपनी प्राचीनता और ऐतिहासिक धरोहर के लिए तीन जनपदों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था विश्वास का केंद्र बना हुआ है। मंदिर प्रत्येक शुभ कार्य शुरू करने से पूर्व माँ के इस पावन मंदिर में मत्था टेककर आशीर्वाद लेते हैं, नवविवाहित वर-वधु के जोड़े पहुंचकर दर्शन पूजन कर मनौती मांगते हैं। इस प्राचीन मंदिर के ठीक पीछे पीछे स्नानागार है। तथा उसी के बगल एक विशाल पक्का पोखरा, यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला बना है। अब क्षेत्रीय विधायक रमेश मिश्रा ने इंटर लॉकिंग, यात्री प्रतीक्षालय, सोलर पैनल लगवाने की व्यवस्था की है।
इतिहास:
सिंगरामऊ रियासत के पूर्व राजा राय रणधीर सिंह के जमाने में अति प्राचीन सिद्धपीठ मां महाकाली मंदिर की स्थापना करके बैसवारा (रायबरेली) से उक्त मूर्ति लाकर इस मंदिर में स्थापित की गई थी। तब से लेकर आज तक के इतिहास में यह मान्यता रही है कि यहां सर झुकाने वाले सभी श्रद्धालुओं के मन की मुराद अवश्य पूरी होती है। जो भी मां के दरबार में शीश झुकाता है, उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है। रियासत की देखरेख में उक्त सिद्ध पीठ का विकास सर्वोपरि ढंग से हो रहा है। यहां प्रत्येक मंगलवार को लगने वाले मेले में सुदूर ग्रामीण अंचल से महिलाएं पहुंचकर दर्शन पूजन के साथ ही कराही देती हैं। तथा अपने मन की मुराद पूरी करने की मां के चरणों में स्तुति करती हैं।
पुजारी-विनोद मिश्रा
प्रबंधक-कुंवर मृगेंद्र सिंह ‘शिवबाबा’