*190 विधानसभा लम्भुआ जनपद सुल्तानपुर की 3 प्रमुख समस्याओं पर एक नज़र*
अशोक कुमार वर्मा
*लम्भुआ सुल्तानपुर*

समस्याएं तो अनेक है परन्तु कुछ विशेष समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना आवश्यक है, पहली समस्या तो सरकार की वह समस्या है जो आई जीआर एस के माध्यम से ग्रामीणों की परेशानियों का निस्तारण समय बद्ध तरीके से निस्तारित होने के सम्बन्ध में है जिसको की कागजी कोरम पर पूरा किया जा रहा है इसी कारण लोग शिकायत करते-करते परेशान हैं जब समाधान होना ही नहीं है तो समाधान दिवस का कोई अर्थ भी नहीं है। गुणवत्ता सिर्फ कागज पर ही है, समस्या चाहे ब्लॉक स्तर की हो चाहे तहसील स्तर की हो या फिर किसी अन्य स्तर की हो माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी चाहते हैं आम जनमानस, किसानों को बार बार अपनी समस्या के लिए कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़े, कारण है प्रत्येक विभाग में स्टाफ की कमी होना, किसी भी विभाग द्वारा स्टाफ की मांग न किए जाने का भी मामला प्रतीत होता है, राजस्व विभाग में लेखपाल की कमी होना बहुत बड़ा खेल है एक एक लेखपाल के पास 5 से 6 हल्के की जिम्मेदारी है।
यही हाल ब्लॉक स्तर पर भी देखने में आ रहा है समस्याओं का निस्तारण गुणवत्ता पूर्वक न होने की यह भी महत्वपूर्ण कारण दिखाई देते हैं।
*समस्या 2* राष्ट्रीय राजमार्ग 731 की अव्यवस्था जनपद सुल्तानपुर के लिए अभिशाप बनी हुई है जनपद सुल्तानपुर से वाराणसी के लिए बनी सड़क अभी तक पूर्ण रूप से कंप्लीट नहीं है फिर भी वैती कला जैसी जगह पर टोल वसूला जा रहा है जोकि मानक के विपरीत है,वहीं पखरौली स्टेशन के पास रेलवे पर बना रहे पुल में अभी बहुत सा कार्य होना शेष होने के बाबजूद भी कर की वसूली किया जाना नियम विरुद्ध भी है सड़क के किनारे वा बीच में स्पात की पत्तीयाँ लगनी थी वह भी नहीं लगी हुई है जिसके कारण अधिकतर गौवंश सड़क पर आ जाते हैं जो आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं जिसकी शिकायत शासन प्रशासन को लिखित कई बार स्पेशल युवा एंटी करप्शन टीम रजिo के सलाहकार अशोक कुमार वर्मा के माध्यम नसे तहसील दिवस जरिये पत्र के माध्यम से भी अवगत कराया साथ ही गायत्री कंस्ट्रक्शन के माध्यम से जो भी पुल बनाए गए उनको भी सड़क से 2 फीट नीचे कर दिया गया जिसके कारण बरसात के दिनों में जल भराव की स्थिति बनी रहती है और साथ ही मानक के विपरीत बने हुए हैं।
*समस्या 3* शासन की मंशा के अनुसार बहुत सारे गांव में तालाबों का सौंदरीकरण किया गया लेकिन वह भी अपने दुरदिन पर रो रहा है सरकारी धन की बंदर बांट करके अधिकारी,ठेकेदार, ग्रामप्रधान सभी अपनी जेब को भरने में लगे हुए हैं धरातल पर कहीं कोई काम नहीं दिख रहा है जब भौतिक सत्यापन की बारी आती है तो अपवाद स्वरूप बने कमल सरोवर वा चिन्हित स्थल कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को इन तालाबों का सर्वे करा दिया जाता है देखने और दिखाने की कोई जरूरत भी नहीं है, इसका जीता जगता उदाहरण भदैया ब्लाक अंतर्गत दो मुंहवा के पास बने तालाब का निरीक्षण किया जा सकता है, जिसके बनने के बाद ना तो आज तक उस तालाब को पानी मुअन्सर हुआ नहीं किसी ने उसकी तरफ देखना ही जरुरी समझा अब उसकी जरुरत एक वर्ष बाद दोबारा पैसा ख़ारिज करने के वक़्त ही आना है एक बार फिर सुंदरीकरण होगा और नये तरीके से लाखो करोडों का चूना सरकार को लगाया जायेगा।