*आदिगंगा गोमती में श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी*
प्रेम शर्मा
जौनपुर: कार्तिक पूर्णिमा के महापर्व पर बुधवार को आदिगंगा गोमती के घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा|
पिलकिछा घाट पर लोगों ने स्नान कर मेले का लुफ्त उठाया।कार्तिक पूर्णिमा पर गोमती नदी के पिलकिछा तिलवारी घाट पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा कर पुण्य अर्जित किया। घाट के बगल स्थित भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता तथा बजरंग बली के मंदिर में श्रद्धालु दर्शन पूजन किए। घाट पर बैठे याचकों को अन्नदान किया। आज से ही यहां का ऐतिहासिक साप्ताहिक मेला शुरू हो गया। जो कृषि उपकरणों और मिट्टी के वर्तनों के लिए विख्यात है। मान्यता है प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद वानर सेना के साथ पुष्पक विमान से वापस अयोध्या लौट रहे थे तो उनका विमान कुछ क्षण के लिए इस घाट पर उतरा था। यहां स्वयं भगवान और उनकी सेना ने स्नान कर गोमती का पवित्र जल ग्रहण किया था। मान्यता है कि तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा पर दूर-दूर से श्रद्धालु आकर स्नान दान करते हैं।मेले में लाई, चूड़ा, रेवड़ा, मिठाई, खिलौने तथा कृषि और घर-गृहस्थी से सम्बंधित सामनों की दुकानें लगी थीं। आसपास गावों से आई महिलाएं सूप, दौरी, चलनी तो पुरुष हल चलाने का जुआ, हंसुआ, खुरपी, कुदाल, फावड़ा, सिंचाई में प्रयोग होने वाला लकड़ी का हत्था आदि खरीद रहे थे।
शिविर में देखे गए छह सौ मरीज खुटहन। कार्तिक पूर्णिमा पर पिलकिछा तिलवारी घाट के मेले में निःशुल्क चिकित्सा कैंप का आयोजन किया गया। इसमें छह सौ मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाएं दी गईं। चिकित्सक डॉ.एसके पाण्डेय ने मरीजों को बताया कि इस समय डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। मच्छर से बचे और इससे बचाव के लिये घर के आसपास साफ सफाई रखें। डॉ.द्रविण तिवारी ने दवाओं के साथ कई बेहतर योगा भी बताया। शिविर में डॉ.आरके गौतम और डॉ.अमित उपाध्याय ने भी सेवा दी। इस मौके पर प्रकाश चंद उपाध्याय, नरेंद्र उपाध्याय, जहांगीर खान, भवानी प्रसाद शर्मा, शैलेन्द्र समेत अन्य लोग उपस्थित रहे। शिविर के आयोजक बृजेश दुबे और अभिषेक शर्मा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
*आस्था का उमड़ा जन सैलाब*
बलुआ गांव स्थित गोमती नदी के किनारे पश्चिम वाहिनी कार्तिक पूर्णिमा मेले मे जमकर खरीददारी हुई। सुबह से ही नदी में स्नान कर दर्शनार्थी अपनी जरूरत के सामान खरीदते रहे। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस चक्रमण करती रही। यहां नदी कुछ दूर पूरब से पश्चिम की तरफ बहती है। इसीलिए इसे आस्था का केंद्र मानकर लोग पूर्णिमा को स्नान दान करते हैं। बच्चे खिलौना खरीदने के साथ रंग बिरंगे शरबत पीकर आनन्द ले रहे थे। रूई फाहा की मिठाई भी खूब बिक रही थी। बड़े बुजुर्गों ने घर ले जाने के लिए लाई, चूड़ा, रेवड़ा, मिठाई खरीदा। मेले में जगह-जगह लगी दुकानों पर लोग चोटहिया जलेबी का स्वाद चख रहे थे। चाट फुलकी की दुकानों पर महिलाओं-युवतियों की अधिक भीड़ रही।यहां पर जनपद ही नही गैर जनपदों के लोग भी स्नान का पुण्य प्राप्त करने आते हैं। आसपास के गांवों में एक दिन पहले से ही रिश्तेदार आ जाते हैं। इस मेले का रेवड़ा काफी प्रसिद्ध है। मेले में आये श्रद्धालुओं के अलावा क्षेत्र के हर घर में यहां का रेवड़ा खरीदकर ले जाया जाता है। स्नान और दर्शन पूजन के बाद लोग मेले का आनंद उठाये। पुरुषों ने पुराने मित्रों से मुलाकात कर हालचाल जाना। वृद्ध महिलाओं ने गृहस्थी का सामान खरीदा। महिलाओं और युवतियों ने मेले में झूले का आनंद उठाया और सौंदर्य प्रसाधन के सामान खरीदे। बच्चों ने खिलौने खरीदे तथा मिठाई खायी।
