*सुल्तानपुर / पुलिस की मिली भगत से जिला मेडिकल कॉलेज पीड़ित को न्याय देने की बजाय उसके ऊपर ही दर्ज कराया फर्जी मुकदमा*
*न्याय के लिए दर-दर भटक रहा पीड़ित इस सम्बन्ध में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से भी लगा चुका है न्याय की गुहार*
सुल्तानपुर जिले का पीड़ित रंजीत पाठक का कहना है कि वह अपनी माता निशा पाठक की रात्रि 9 बजे अचानक रसोई गैस सिलेंडर में आग लगे की वजह से तबीयत खराब होने से वह एंबुलेंस के द्वारा जिला अस्पताल सुल्तानपुर लेकर आए इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने रंजीत पाठक की मां को पहले तो सुई लगाया उसके बाद उन्हें ड्यूटी पर तैनात चिकित्सा के द्वारा बोला गया थोड़ी देर इंतजार करो आराम हो जाएगा

परंतु उनकी माता को पेट में दर्द होता ही रहा पीड़ित रंजीत पाठक लगभग रात्रि 2:30 बजे डॉक्टर को फिर से देखने के लिए बोलते हैं डॉक्टरों द्वारा रात्रि 2:30 बजे रंजीत को बाहर से दवा लिखा जाता है और दवा का पर्चा रंजीत पाठक को यह कह कर दे दिया जाता है कि यह दवा बाहर से लेकर आओ इस पर रंजीत पाठक के द्वारा यह बोला जाता है

क्या हॉस्पिटल में दवा उपलब्ध नहीं है इतनी रात को हम कहां जाएंगे इसी बात पर छुब्द होकर उक्त डॉक्टर और सभी सहयोगी स्टाफ ने रंजीत को मां बहन की बद्दी बद्दी गालियां देते हुए इमरजेंसी में तैनात डाक्टर, सभी सहयोगी स्टाफ व सिक्योरिटी गार्ड शिव बहादुर सिंह ने मिलकर रंजीत के मां के सामने उन्हें केबिन में ले जाकर मारा पीटा और दवा का पर्चा छीन लिया इस पर पीड़ित रंजीत पाठक ने यह कहा कि मैं इस प्रकरण को सीएमएस महोदय को फोन करके सूचित करता हूं इस पर सभी स्टाफ के लोगों ने मिलकर रंजीत पाठक का फोन भी छीन लिया तब पीड़ित ने इसकी सूचना तत्काल नगर कोतवाली सुल्तानपुर को दिया इसके उपरांत मौके पर पीड़ित के साथ एक कांस्टेबल आए और पीड़ित रंजीत पाठक को उनका मोबाइल फोन दिलवाले उसके बाद कांस्टेबल के द्वारा यह कहा गया कि आप एक एप्लीकेशन लिखकर कोतवाली में दे दो जिससे आपके साथ हुई घटना के विषय में उचित कार्रवाई किया जा सके कांस्टेबल की बात मानते हुए पीड़ित रंजीत अपनी मां के साथ नगर कोतवाली गए उन्होंने एप्लीकेशन दिया लेकिन पीड़ित के एप्लीकेशन पर अभी तक नगर कोतवाल नारद मुनि सिंह के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया उल्टा नगर कोतवाल के द्वारा पीड़ित के खिलाफ जिला अस्पताल प्रशासन के कहने पर रजिस्टर फाड़ने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया जबकि पीड़ित बार-बार यह कह रहा है कि इमरजेंसी हॉस्पिटल की सीसीटीवी फुटेज निकलवाया जाए उसमें अगर मैं दोषी हूं तो मेरे ऊपर कारवाई की जाए मुझे दंडित किया जाए अन्यथा जो दोषी है उसके ऊपर कारवाई किया जाए जिला अस्पताल प्रशासन पीड़ित के सीसीटीवी फुटेज मांगने पर लगातार टालमटोल कर रहा है पीड़ित का यह भी कहना है कि मेरे पास जिला अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों से फोन पर हुई बातचीत की कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है जिसमें सांप समझ में आ जाएगा कि यह लोग सीसीटीवी फुटेज देना नहीं चाह रहे हैं सिर्फ टाल मटोल कर रहे हैं विभागीय कार्यवाही की खानापूर्ति करते हुए घटना में शामिल इमरजेंसी में तैनात समस्त 8 चिकित्सक स्टाफ का इमरजेंसी से दूसरी जगह स्थानांतरण कर दिया गया और पीड़ित को जिला चिकित्सालय के अधिकारियों के द्वारा यह कहा गया कि अब आप कोई कार्यवाही मत कीजिए हमने विभागीय जांच टीम गठित करके जांच करवाया और उस समय ड्यूटी पर तैनात समस्त आठ डॉक्टर स्टाफ को दोषी पाते हुए उनका स्थानांतरण दूसरी जगह करवा दिया है और आप भी अब सुलह कर लीजिए पीड़ित रंजीत पाठक ने जिला चिकित्सालय के अधिकारियों की बात मानते हुए सुलह करने के लिए हा कर दिया इसी बीच जिला प्रशासन के द्वारा नया खेल रच दिया गया डॉक्टर सौरभ जो कि उस दिन इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात नहीं थे के द्वारा कोतवाली नगर में कोतवाली पुलिस की मिली भगत से पीड़ित रंजीत पाठक के द्वारा रजिस्टर फाड़ने का फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया गया पीड़ित को न्याय देने की बजाय उसे ही उल्टा फसाया जा रहा है और दोषियों को पुलिस और अस्पताल के प्रशासन के द्वारा बचाया जा रहा है यही कारण है की जनता का विश्वास दिन प्रतिदिन पुलिस प्रशासन तथा हर सरकारी विभाग के अधिकारियों के ऊपर से उठता जा रहा है और हर पीड़ित गरीब का शोषण किया जा रहा है उन्हें न्याय नहीं दिया जा रहा है अब देखना यह है की क्या रंजीत पाठक को पुलिस प्रशासन तथा चिकित्सा प्रशासन न्याय देती है कि उसे ही फर्जी मुकदमे में फसाएगी इस मामले को 13 नवंबर 2024 से पुलिस और जिला मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के द्वारा अभी तक पीड़ित को उचित न्याय न देकर टालमटोल किया जा रहा था इससे साफ जाहिर होता है की जिला मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी अपने डॉक्टर और सहयोगी कर्मचारी को बचाने का उपाय ढूंढ रहे थे और आखिरकार उन्हें पीड़ित के ऊपर रजिस्टर फाड़ने के जुर्म में फर्जी मुकदमा लगवाने का उपाय मिल ही गया अगर पीड़ित ने रजिस्टर को क्षति पहुंचाया ही है तो उसकी भी जिला चिकित्सा प्रशासन को साक्ष्य देना चाहिए अगर पीड़ित रंजीत पाठक के साथ इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर या सहयोगी स्टाफ ने अभद्रता और मारपीट नहीं किया है तो सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं दे रहे हैं विभागीय अधिकारियों के द्वारा टालमटोल क्यों किया जा रहा है पीड़ित को न्याय देने की बजाय उसे उल्टा क्यों फसाया जा रहा है क्या कहीं पुलिस और जिला मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों की मिली भगत से जिला मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में तैनात सभी डॉक्टर कर्मचारियों को बचाकर पीड़ित को ही बाली का बकरा बनाने का प्लान है देखना यह है कि पीड़ित को न्याय दिया जाता है या बालि का बकरा बनाया जाता है
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