सिंगरामऊं। स्थानीय राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय सिंगरामऊ जौनपुर के हिन्दी-विभाग द्वारा बृहस्पतिवार १४-सितंबर को हिन्दी दिवस के अवसर पर “हिन्दी भाषा की चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन

किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और वंदना के साथ हुआ।प्रोफ़ेसर जय कुमार मिश्र ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा हिंदी को सभी संवैधानिक संस्थाओं और कार्यालयों मे अनिवार्य रूप से लागू किया जाना चाहिए और बाजार की भाषा बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए, क्योंकि तभी वह समाज मे प्रतिष्ठित हो पायेगी।डाॅ मनोज कुमार सिंह ने कहा- हिंदी सरल, सुगम भाषा है अपने विचारों को प्रकट करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है, धीरे धीरे रोजगारपरक हो रही है और कुछ समय में विश्व में पहले स्थान पर आने की पूरी क्षमता रखती है। डाॅ बृजेश प्रताप ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा हिन्दी में अन्य बोलियों का प्रभाव हिन्दी के स्वरूप को विकृत कर रही है। संस्कृत प्रभारी डाॅ सीमा सिंह ने संस्कृत से हिन्दी की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला।विभाग प्रभारी डाॅ रवीन्द्र कुमार सिंह ने कहा मानव संवेदनशील प्राणी है और भाषा एक ऐसा साधन है जो मानवीय संवेदना को पठन-पाठन, श्रवण एवं लेखन के द्वारा आलंबन प्रदान करता है। प्रश्न उठता है कि क्या कोई भाषा मानवीय संवेदनाओं को साहित्य में उकेरकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकती है क्या? हिन्दी के साथ तमाम वैश्विक प्रश्न 1992 से जुड़ते है जब भूमंडलीकरण, उदारीकरण, बाजारवाद का दौर शुरू होता है। वैश्विक समुदाय हिन्दी क्यों सीखे? इस प्रश्न के उत्तर में ही चुनौतियाँ एवं समाधान दोनों है। उत्पादन विपणन से जुड़कर ही हिन्दी अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत कर सकती है।डाॅ अजय कुमार ने हिन्दी की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम का सफल संचालन किया।अंत में श्री रमेश कुमार ने मंचासीन सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में डाॅ संतोष कुमार सिंह, डाॅ आनंद कुमार सिंह, डाॅ गिरीश,डाॅ करूणेश के साथ बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
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