भारतेन्दु और उनके युग का अन्तर्विरोध’ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित 

‘भारतेन्दु और उनके युग का अन्तर्विरोध’ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित

 

सिंगरामऊ। स्थानीय राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय सिंगरामऊ जौनपुर के हिन्दी-विभाग में आज जनभाषा हिन्दी के प्रतिष्ठापक भारतेन्दु हरिश्चंद्र जयंती के अवसर पर “भारतेन्दु और उनके युग का अन्तर्विरोध” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारतेन्दु हरिश्चंद्र के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। विभाग प्रभारी डाॅ रवीन्द्र कुमार सिंह ने भारतेन्दु जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा-“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।” भाषा की उन्नति को राष्ट्रीय उन्नति का मूल मानने वाले भारतेन्दु ने ‘कवि वचन सुधा’, ‘हरिश्चंद्र मैगजीन’, ‘हरिश्चंद्र चन्द्रिका’ जैसी पत्रिकाओं से भाषा साहित्य की सेवा व राष्ट्रीय जागरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत दुर्दशा,अंधेर नगरी, वैदिक हिंसा हिंसा न भवति जैसे प्रहसन नाटकों और भारतवर्षोंन्नति कैसे हो सकती है; जैसे निबंधों के माध्यम से पूरी अंग्रेजी राजव्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए भारतीयों के जनमानस को झकझोरा व उनके अंदर राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया। अतीत का मोह और भविष्य के भारत की चिंता ही भारतेन्दु के विचार और साहित्य का मूल आधार है। ‘संस्कृति एकीकरण करती है राजनीति विभाजन’ यह विचार भारतेंदु ने 1860 के दशक में व्यक्त की थी।आज देश की संस्कृति का राजनीतिकरण कर दिया गया है। यही कारण है कि आज एक दिखने वाला भारत अंदर ही अंदर जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा क्षेत्र में बंटा हुआ है। हर जगह राजनीति ने अपनी पैठ बना ली है।भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिन्दी की जिस नींव को रखा था आज उसी पर हिन्दी की भव्य इमारत खड़ी है। हिन्दी को लेकर नवजागरण के इस अग्रदूत का साहित्यिक, सामाजिक व राष्ट्रीय योगदान अतुलनीय है। प्रोफ़ेसर जय कुमार मिश्र ने कहा भारतेन्दु बाबू एक ऐसे समय की उपज थे जो भारत के राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन में संक्रान्ति का समय था। भारतीय मानस मध्यकाल से आधुनिक काल में संक्रमण कर रहा था। डाॅ मनोज कुमार सिंह ने कहा भारतेन्दु जी को अपना अतीत बहुत प्रिय था, परन्तु उनकी आँखें खुली हुई थीं और वे भारत के वर्तमान और भावी हितों के नाते संसार के उन्नतिशील देशों के साथ भारत को भी कदम से कदम मिलाते चलते देखना चाहते थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ संतोष कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र- छात्राओं ने सहभाग की “शत शत नमन”

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