संतानों को धन देने की चिंता न कर के अपितु उन्हें धर्म देने की चिंता करें धन प्रारब्ध का फल है : पूज्य चिन्मयानंद बापू

संतानों को धन देने की चिंता न कर के अपितु उन्हें धर्म देने की चिंता करें धन प्रारब्ध का फल है :
पूज्य चिन्मयानंद बापू
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तीखी आवाज़
संवाददाता – प्रेमशर्मा, शाहगंज, जौनपुर ,

सुईंथा कला :आशिऀया गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन हरिद्वार से पधारे कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने कहा स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता कदापि नहीं है |और कहा कि ईश्वर के सानिध्य के लिए तन मन दोनों की निर्मलता आवश्यक होती है और उन्होंने कहा कि अपनी संतानों को धन देने की चिंता न करके अपितु उन्हें धर्म देने की चिंता करें धन प्रारब्ध का फल है और देसी गायों का संरक्षण समय की जरूरत है क्योंकि उनका दूध अमृततुल्य है हमें अपनी संस्कृत भाषा व खानपान पर गर्व करना चाहिए सिर्फ अपने लिए जीना पाश्विक जीवन है इसलिए समाज के लिए जीना सार्थक है बापू ने युवाओं के लिए संदेश देते हुए कहा कि संगत का सबसे बड़ा असर आपके जीवन पर पड़ता है इसलिए संगत सोच समझकर करनी चाहिए और उन्होंने कहा कि परमात्मा की शरण में चले जाना ही वास्तविक सत्य व धर्म है इस कथा में आए हुए सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का आभार आयोजक मंडल की तरफ से बदलापुर “विधायक” रमेश चंद्र मिश्र एवं शाहगंज “विधायक” रमेश सिंह ने व्यक्त किया |इस कथा के पूर्व आयोजन से जुड़े यजमान राम उदित मिश्र, दुर्गा प्रसाद मिश्र ,अशोक कुमार मिश्र, आदि ने भागवत की आरती की एवं कथा में पधारे अयोध्या से महंत राजकुमार दास एवं एमएलसी विद्यासागर सोनकर ,’पूर्व सांसद” के पी सिंह पूर्व ब्लाक प्रमुख कादीपुर ,श्रवण मिश्रा ब्लाक प्रमुख महाराजगंज ,मांडवी सिंह ,विनय सिंह आदि सम्मानित लोग उपस्थित रहे |

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