*भारतीय ज्ञान परंपरा का मूल स्रोत का नाम भारतीय संस्कृति* — *प्रो0 अजय कुमार द्विवेदी*

*भारतीय ज्ञान परंपरा का मूल स्रोत का नाम भारतीय संस्कृति* — *प्रो0 अजय कुमार द्विवेदी*

*माता चरण पांडे*सुजानगंज

क्षेत्र के रघुवीर महाविद्यालय थलोई भिखारीपुर कला में भारतीय ज्ञान प्रणाली में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के डीन प्रो0 अजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि आज हमें अपनी प्राचीन परंपराओं को याद रखने की आवश्यकता है। हमारी भारतीय संस्कृति बड़ी ही वैज्ञानिक है। जितने भी त्यौहार, परंपराएं या ज्योतिष की घटनाएं हैं वह बड़ी ही वैज्ञानिकता से भरी है। सारस्वत अतिथि के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रो0 अरुण कुमार द्विवेदी ने कहा कि आज भारतीय ज्ञान प्रणाली को जानने के लिए संस्कृत भाषा के ज्ञान की बहुत बड़ी आवश्यकता है। हमारे समस्त वैदिक ग्रंथ संस्कृत में है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से हमें एक बार पुनः अपनी परंपराओं को फिर से समाज में लाने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो0 राकेश कुमार पांडेय एवं प्रो0 रिचा पांडेय ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ0 जय प्रकाश तिवारी ने किया। सेमिनार के दूसरे तकनीकी सत्र में शोधार्थियों द्वारा 30 शोध पत्रों का वाचन किया गया। इस सत्र में शोध छात्रों ने अपने-अपने विचार शोध पत्र के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का स्वागत संगोष्ठी के संयोजक डॉ0 शारदा प्रसाद सिंह ने किया। आए हुए अतिथियों का आभार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर प्रो0 राजेश तिवारी, डॉ प्रेम शंकर द्विवेदी, डॉ0 विनय कुमार त्रिपाठी, डॉ0 रंजना मिश्रा, डॉ0 नागेंद्र यादव, डॉ0 सोहनलाल यादव, डॉ अभिषेक मिश्रा,रवि कुमार, विकास शर्मा, अनिल, मयंक, आदि प्राध्यापकों के सहित छात्र एवं छात्राएं तथा शोधार्थी उपस्थित रहे।

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