*मर्चेंट नेवी कर्मी का शव ईरान से 35 दिन बाद घर पहुंचा*

*मर्चेंट नेवी कर्मी का शव ईरान से 35 दिन बाद घर पहुंचा*

प्रेम शर्मा

शाहगंज खुटहन थाना क्षेत्र के तिलवारी गांव में बुधवार की भोर में एक बहुत ही दर्दनाक दृश्य देखने को मिला |मर्चेंट नेवी में तकनीकी सहायक पद पर कार्यरत शिवेंद्र सिंह का शव35 दिनों के बाद उनके घर पहुंचा|

संदीप सिंह ने बताया कि ईरान स्थित भारतीय दूतावास व एजेंट की गलती से शव जमशेदपुर पहुंच गया था। बताया कि पहले अहलाद का शव भारत आना था लेकिन मोर्चरी से शव निकालते समय मिलान नहीं हुआ था और, शिवेंद्र का शव ताबूत में डाल दिया गया। इससे शिवेंद्र का शव जमशेदपुर पहुंच गया था। 27 मार्च को ईरान के किस आइस लैंड पोर्ट पर खड़े एमवी रासा नामक जहाज पर बोट उतारते समय हुई दुर्घटना में तिलवारी गांव के शिवेंद्र प्रताप सिंह व झारखंड के पश्चिमी सिंह भूमि जिले के चक्रधरपुर के आनंदपुर निवासी अहलाद नंदन महतो की मौत हो गई थी। जहाज पर शिवेंद्र बतौर टेक्नीशियन सहायक तथा नंदन महतो इंजीनियर के पद पर तैनात थे। मौत की सूचना पर दोनों परिवारों में मानो वज्रपात हो गया। दोनों के शव वापस मंगाने के लिए परिवार पुरजोर प्रयास कर रहे थे। शिवेंद्र का शव 27 अप्रैल को गलती से जमशेदपुर पहुंच गया। शिवेंद्र के पिता संदीप के मुताबिक 26 अप्रैल को ईरान से अहलाद नंदन महतो का शव भारत आना था। ईरान के सिराज सिटी हॉस्पिटल में दोनों के शव माेर्चरी में रखे थे। उस दिन सिर्फ अहलाद के शव को भारत डिस्पैच करने के लिए कागजी औपचारिकताएं पूरी हुई थीं| और पेपर भी उसी के नाम का बना था। पहली गलती जब माेर्चरी से शव निकाल कर ताबूत में डाला गया तो बिना मिलान कराए वहां अहलाद की जगह शिवेंद्र का शव डाल दिया गया। दूसरी गलती ताबूत में न तो शव से जुड़ी कोई जानकारी लिखी गई और ना ही कोई ऐसी संख्या जिससे मिलान कराया जा सके। इससे न तो डिस्पैच करते समय किसी ने शव और पेपर को मिलाया और न ही भारत आने पर कोलकाता में मिलान करने दिया गया। चूंकि शव को माेर्चरी से निकाल कर डिस्पैच कराने तक की भूमिका वहां के एजेंट और भारतीय दूतावास के अधिकारियों की थी इसलिए गलत भी उन्हें ही ठहराया गया। शिवेंद्र के पिता संदीप ने बताया कि जब अहलाद के भाई रघुनंदन ने शव देखा तो दंग रह गया। उसने तुरंत फोटो खींच कर उन्हें भेजी और मिलान कराया। इससे शिवेंद्र के शव की पहचान हुई। इसके बाद वहां से शव लाया गया। संदीप ने बताया कि इंजीनीयर अहलाद का शव अभी भी ईरान में ही है।

शिवेंद्र के ताबूत से लिपट कर बिलख पड़े परिजन-शिवेंद्र के पिता संदीप ने बताया कि प्रशासनिक चूक के कारण उनके बेटे का शव जमशेदपुर के चक्रधरपुर पहुंच गया था। मंगलवार की शाम से ही इंजीनियर शिवेंद्र के घर ग्रामीणों का जमावड़ा शुरू हो गया था। लेकिन देर रात तक शव घर नहीं पहुंच सका। बुधवार भोर में शव घर आते ही माता रेनू सिंह, पिता संदीप सिंह, बड़ी बहन शिवांगी, चचेरी बहन अनन्या, आर्या, चाची कुमकुम सिंह ताबूत से लिपट कर बिलख पड़ीं। शव खराब न होने पाए इसके चलते अंतिम दर्शन के लिए मात्र दस मिनट ही घर पर रखा गया। परिजनों के करुण क्रंदन से गांव में सन्नाटा पसर गया। सुबह 6.30 पिलकिछा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि पिता संदीप सिंह ने दी।

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