आंख जो शरीर का बहुमुल्य अंग है इसकी देखभाल बहुत सावधानी से करनी चाहिए….डॉ चेतन पांडेय नेत्र चिकित्सक
एक ऐसी स्थिति है, जिसमें सामान्य चश्मों या अन्य उपचार द्वारा दृष्टि को 6/18 से अधिक स्तर तक नहीं सुधारा जा सकता। लेकिन एक व्यक्ति की शेष दृष्टि का अधिकतम उपयोग मैगनीफायर या दूरबीन जैसे यंत्रों द्वारा कर सकते हैं।
एक व्यक्ति की कम लेकिन क्रियाशील दृष्टि हो सकती है, यानी वह दृष्टि का विशेष प्रयोजनों के लिए उपयोग कर सकता/सकती हैं। कम मात्रा में दृष्टि भी उपयोगी हो सकती हैं, उदाहरण के लिये नज़दीक से किसी व्यक्ति को पहचानना या वस्तुओं से टकराने से बचना। दृष्टि कितनी उपयोगी है, यह व्यक्तिगत अनुभवों पर निर्भर करता है एवं इस बात पर कि क्या व्यक्ति को अपनी दृष्टि का अधिकतम उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है। यह बाहरी कारकों, जैसे प्रकाश एवं रंगीन वस्तुओं पर भी निर्भर करता है।
अंधत्व तथा दृष्टि की क्षीणता के कारण
सामान्य कारण
अंधत्व या दृष्टिक्षीण की दु्र्बलता लाने वाली परिस्थितियां
मोतियाबिंद
अपवर्तक त्रुटि
आँख की जन्मजात असंगति
ऑप्टिक एट्रॉफी
कॉर्निअल रोग
कांचबिंदु
रेटिनल रोग
एम्ब्लिओपिक
अन्य (सजातीय विवाह, आघात, आदि)
यह देखा जा सकता है कि मोतियाबिंद, अंधत्व का सबसे बड़ा कारण है, तथा अपवर्तक त्रुटि दृष्टि की क्षीणता का सबसे बड़ा कारण है। इनके अलावा आंख की जन्मजात विसंगति, ऑप्टिक एटगॉफी, कॉर्निअल रोग,कांचबिंदु, रेटिनल रोग, एम्ब्लिओपिक अंधत्व या दृष्टि की क्षीणता के कारण होना पाये गये हैं।
मोतियाबिंद एवं अपवर्तक त्रुटि अंधत्व एवं दृष्टि की क्षीणता के सबसे बड़ा कारण होते हैं। इन परिस्थितियों को रोका नहीं जा सकता, लेकिन मोतियाबिंद के मामले में एक इन छोटे से ऑपरेशन द्वारा दृष्टि को फिर चंगा किया जा सकता हैं, एवं अपवर्तक त्रुटि के लिए चश्मे देकर। अंधत्व एवं दृष्टि की क्षीणता के इन रूपों का उपचार, सभी स्वास्थ्य उपचारों में से सर्वाधिक सफल एवं सस्ता है।
डॉ चेतन पांडेय नेत्र चिकित्सक
जिला सह संयोजक चिकित्सा प्रकोष्ठ भाजपा जौनपुर
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