*फिरोजपुर में श्रीमद्भागवत कथा का सप्तम दिवस:*
*सुदामा चरित्र पर नम हुई श्रद्धालुओं की आंखें*
*संवाद: शिवपूजन मिश्रा*
सिगरामऊ क्षेत्र के ग्राम फिरोजपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन का आयोजन भक्तिभाव और उल्लास से परिपूर्ण रहा। कथावाचक व्याकरण के प्रकांड विद्वान सुधा शंकर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की अमर मित्रता की कथा सुनाते हुए भावनाओं का सागर बहा दिया। कथा के दौरान सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और कई श्रोताओं की आंखें नम हो गईं।
महाराज ने कहा कि सुदामा ने भगवान से विनोदपूर्वक कहा कि “महीने में तो दो एकादशी आती हैं, परंतु हमारे यहां तो रोज एकादशी होती है।” कथा के माध्यम से उन्होंने सुदामा के त्याग, भक्ति और कृष्ण के प्रति उनके अटूट प्रेम को रेखांकित किया।
एक दिन पूर्व की कथा में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के दिव्य विवाह प्रसंग का सुंदर वर्णन किया गया था। सुधा शंकर महाराज ने बताया कि युगों के साथ विवाह शैली में अनेक बदलाव आए हैं, लेकिन सनातन परंपराओं की आत्मा आज भी अटूट है।
सप्तम दिवस की कथा में द्वारका लीला, सुदामा चरित्र, नव योगेश्वर कथा तथा परीक्षित मोक्ष प्रसंग सुनाए गए। कथा व्यास व उनके सहयोगियों के भजनों और संकीर्तन से पूरा पंडाल भक्ति रस में सराबोर हो गया।
इस अवसर पर विप्र सुदामा की भव्य झांकी निकाली गई। पुरोहित कर्मकांडी विद्वान अच्युतानंद शुक्ला ने वैदिक रीति से मुख्य यजमान रामकृष्ण शुक्ला व उनकी धर्मपत्नी विद्यावती शुक्ला से चरण पूजन करवाया तथा ब्राह्मणों का पूजन कराया।
यजमान परिवार ने श्रद्धापूर्वक दान-दक्षिणा, वस्त्र और आभूषण भेंट किए। कथा के अंत में प्रसाद वितरण हुआ, जिसमें सुदामा द्वारा लाए गए तंदुल (चावल) को प्रसाद रूप में श्रद्धालुओं ने अत्यंत भावपूर्वक ग्रहण किया।
इस मौके प्रमुख रूप से राधे श्याम शुक्ला, सिंधु शुक्ला, हरिप्रसाद शुक्ला ,शिवाजी शुक्ला ,संतोष शुक्ला, हरिनारायण शुक्ला, बृजेश शुक्ला, लक्ष्मीकांत मिश्रा ,गोपाल कृष्ण शुक्ल ,बालकृष्ण शुक्ला, शिवाजी शुक्ला, दिनेश, रब्बू सहित तमाम श्रोता भक्त व क्षेत्रीय जन् मौजूद रहे।
