*पीड़ित परिवार से मिलने कांग्रेस सपा भाजपा बसपा से मिलने रोज नेतागण*
लम्भुआ सुल्तानपुर

*डीएम साहिबा, जिले की जनता पूँछ रही है, आखिर डाक्टर घनश्याम तिवारी हत्याकांड का जिम्मेंदार कौन है?*
*सीएम साहब, डाक्टर तिवारी हत्याकाण्ड में नगर कोतवाल का निलम्बन, सदर एसडीएम व क्षेत्रीय लेखपालों को अभयदान क्यों?*
*जिलें में अपराध पर अंकुश तभी सम्भव है, जब जिलें में घटित गम्भीर घटनाओं पर निलम्बन के साथ जिम्मेंदार अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी दर्ज हो एफआईआर।*
सुलतानपुर। मैं आज सबसें पहलें जिलें के चन्द मीडिया जयचन्दों को छोड़ उन समस्त अपनें मीडिया के माननीय सम्मानित अग्रज बड़ें भाईयों को इस खबर के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंनें डाक्टर घनश्याम तिवारी हत्याकांड में जाति-समुदाय से कही ऊपर उठकर दिल खोलकर अपनें फर्ज का निर्वाहन करते हुए अपनें कलम का प्रयोग किया। वैसें हकीकत भी यही है कि जनपद के अन्तर्गत बीतें दिन हुए डाक्टर तिवारी हत्याकांड में जिलें के चौथें स्तम्भ की ही सक्रियता और एकता के कारण जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ही बल्कि शासन तक को जमीं पर उतरकर कार्यवाही करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अगर इसी तरह अपनी शक्ति को पहचान चौथा स्तम्भ समय-समय पर अपनें फर्ज का निर्वाहन करने लगे, तो मेरा मानना है कि काफी हद तक जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के बेलगाम भ्रष्ट अधिकारियोें के भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूर लगाया जा सकता है।
गौरतलब हो कि अगर हम बीतें मात्र 5 सालों की अगर बात करें तो जिलें में इससें पहलें भी न जानें कितनी हत्याएं, लूट, डकैती व बलात्कार जैसी घटनाओं को अपराधियों द्वारा बेखौफ अन्जाम दिया गया है। जिसपर जनता के आक्रोश होने, व मीडिया में पुलिस व प्रशासन अपनी छीछा-लेदर से बचनें के लिए और जिलें की जनता को दिखानें के लिए उच्चाधिकारियों द्वारा उस क्षेत्र के जिम्मेंदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ तबादला व निलम्बन का खेल खेला जाता है। जो इस बार भी डाक्टर तिवारी के हत्याकांड में नगर कोतवाल राम आशीष उपाध्याय के साथ खेला गया। कुछ माह बाद नगर कोतवाल उपाध्याय तो अपनें भगवन को चढ़ावा चढ़ाकर पुनः किसी अन्य जनपद या फिर इसी जिलें में अपनी कुर्सी पा लेंगें। लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि क्या कोई ऐसा भी चढ़ावा है, जिसें चढ़ानें से मृतक घनश्याम तिवारी भी वापस आ जायेगें, सोचनीय का बिषय है?
दूसरें पहलूं पर अगर गौर करें, तो डाक्टर घनश्याम तिवारी हत्याकांड का जिम्मेंदार जितना अजय नारायण सिंह व उनके अन्य नामजद व अज्ञात सहयोगी है, उससें कहीं ज्यादा जिम्मेंदार स्वयं जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के लोग भी है। उदाहरण तौरपर क्षेत्र का एक लेखपाल होता है, जिसें अपनें क्षेत्र के एक-एक इंच की जमीन का पता रहता है, और वह ज्यादातर घूम-फिर कर अपने क्षेत्र में ही अपने बस्ते और गुनिया के साथ पाया जाता है। अगर क्षेत्र में किसी जमींन पर अवैध निर्माण या फिर अवैध कब्जा हो रहा है, तो क्या इसकी जिम्मेंदारी उसकी नही होती कि वह उक्त जमींन के प्रति वैधानिक कार्यवाही करें।
लेकिन वह ऐसा क्यूं करेंगा? अगर वह ऐसा करने लगेगा तो जो उसें एक-एक अवैध कब्जा व अवैध निर्माण को लेकर जो लाखों में बख्सीश मिल रही है, वह कहां से मिलेगी। ताज्जुब तो इस बात पर होती है कि अगर कही नगर सहित जिलें भर में अवैध जमींनों पर कब्जा व अवैध निर्माण होता है, तो मीडिया को तो पता चल जाता है, किन्तु जिम्मेंदार उससें अन्जान रहते है। उससें भी बड़ा ताज्जूब यह है कि खबरों के माध्यम से मीडिया के अवगत कराने के बाद भी उक्त जमीनों पर कार्यवाही करने की बजाय जिला प्रशासन के जिम्मेंदार भूमाफियाओं से सौदेंबाजी कर मोटी रकम लेकर मीडिया की खबरों पर अंकुश लगानें के लिए नोटिसें जारी कर देता है, ताकि मीडिया अपनी निष्पक्ष खबरें न प्रकाशित कर सकें।
जिलें के निम्न वर्ग के लोगों ने इस खबर के जरियें शासन से लेकर प्रशासन तक से यह मांग की है कि यदि डाक्टर हत्याकांण्ड में नामजद व अज्ञात हत्यारोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही करने का आदेश हुआ, तो साथ ही साथ जिला व पुलिस प्रशासन के जिम्मेंदारों पर भी एफआईआर होना जरूरी है। डाक्टर हत्याकाण्ड में जितना दोष नगर कोतवाल राम आषीष उपाध्याय का था, उससें कहीं ज्यादा दोषी सदर एसडीएम चन्द्र प्रकाश पाठक व क्षेत्रीय लेखपाल का भी है। फिर नगर कोतवाल उपाध्याय को निलम्बन तथा एसडीएम सदर चन्द्र प्रकाश पाठक व उनके क्षेत्रीय लेखपालों को अभयदान क्यों?
जिलें में बीतें 5 सालों की घटनाओं व उसपर हुई कार्यवाही को देखते हुए जिलें के लोगों ने अपनें प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि शायद जिलें में तभी अगामी किसी घटना पर अंकुश लगाना सम्भव हो पाएगा, जब डाक्टर तिवारी हत्याकाण्ड के जिम्मेंदार प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ निलम्बन के साथ एफआईआर दर्ज कर उनकी भी उनके शासनकाल के कार्यशैलियों की निष्पक्ष जांच किसी गैर-जनपदीय अधिकारियों से कराया जाय, अन्यथा जिलें में ऐसें ही हत्याएं होती रहेगी, जिसे न शासन रोक पायेगा और न ही प्रशासन, और देखा जाय तो वास्तविकता भी है।
वही आज कांग्रेस का डेलिगेशन भी पीड़ित परिवार से मिलने उनके पैतृक निवास पर गया वहीं कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता ओम प्रकाश तिवारी, चुन्ना सिंह, पूर्व महिला जिलाध्यक्ष पूनम कोरी की भी उपस्थित मौजूद रही।
पूर्व सपा विधायक अनिल पाण्डेय भी पीड़ित परिवार से मिले
साथ ही वर्तमान विधायक सीताराम वर्मा भी कुछ देर बाद पहुँचे।