*रोजाना 700 बसें हो रही खराब, यात्री परेशान, सड़कों पर खराबी आ जाने से लग जाता है भयंकर जाम*

*रोजाना 700 बसें हो रही खराब, यात्री परेशान, सड़कों पर खराबी आ जाने से लग जाता है भयंकर जाम*
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*तीखी आवाज ब्यूरो नई दिल्ली: सत्य प्रकाश तिवारी*

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खराब बसों में सबसे अधिक उम्र पूरी कर चुकी बसें शामिल हैं। इनमें लो फ्लोर सीएनजी बसों के साथ ई-बसे भी शामिल हैं। रोजाना 10 से 15 ई-बसें बसें खराब हो रही हैं।
दिल्ली परिवहन निगम की बसें सड़कों पर जहां-तहां खराब होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बसों के खराब होने की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। फरवरी तक रोजाना करीब 500 बसे खराब होती थी। वही अगस्त में यह आंकड़ा 700 से ज्यादा तक पहुंच गया है। जिससे यात्रियों को घंटो तक बस का इंतजार करना पड़ रहा है। यही नहीं सड़कों पर बस खराब होने की स्थिति से जाम की भी समस्या लगातार बन रही है।
खराब बसों में सबसे अधिक उम्र पूरी कर चुकी बसें शामिल हैं। इनमें लो- फ्लोर सीएनजी बसों की साथ ई-बसे भी शामिल हैं। रोजाना 10 से 15 ई-बसें बसें खराब हो रही हैं। सबसे बड़ी समस्या इन बसों को ठीक करने में आती है। दरअसल, जिस डिपो की बस होती है, उसी डिपो से मैकेनिक को बुलाया जाता है। इससे खराब बस को सड़क के किनारे तक पहुंचाने में घंटों का समय लग जाता है। डीटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की इस योजना पर कार्य किया जा रहा है की जहां से बस खराब हो वही पास के डिपों से मैकेनिक आ जाए। मौजूदा समय में डीटीसी के बेड़े में अभी 3992 बसे हैं, जिनमें 488 ई-बसें भी शामिल है।
डीटीसी की मौजूदा सीएनजी बसों को उम्र 12 साल या 7:30 लाख किलोमीटर, जो पहले हो जाए निर्धारित थीं, लेकिन बसों की स्थिति और बसों की कमी को देखते हुए सरकार ने इन्हें 15 साल तक चलाने की अनुमति दी थी। अब यह बसें अंतिम चरण में है। इनमें से इस साल से अगले साल तक 1500 बसें सड़कों से हट जाएंगी। वर्ष 2026 तक सड़कों पर गिनी चुनी ही मौजूदा सीएनजी बसें बचेंगी। दिल्ली में 11,000 बसों की जरूरत है, लेकिन जरूरत के हिसाब से कम बसें उपलब्ध है। इसमें क्लस्टर और डीटीसी को मिलाकर संख्या 7360 तकी पहुंचती है।
लगातार ब्रेकडाउन होने वाली बसों की मेंटेनेंस ठीक से नहीं हो पा रही है। पूर्वी, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर जोन को मिलाकर डीटीसी की कुल 40 डिपो हैं। इनकी देखरेख करने के लिए महक 26 स्टोर मैनेजर हैं। ऐसे में कई डिपों को एक मैनेजर को निगरानी करनी पड़ रही है। डीटीसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लंबे समय से इन डिपो मैनेजर भर्ती नहीं हो रही है। इससे कोई भी कार्य सतर्कता के साथ नहीं किया जा रहा है।

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