*अधिवक्ता और अधिकारी मस्त बादकारी जनता है त्रस्त*

*अधिवक्ता और अधिकारी मस्त बादकारी जनता है त्रस्त*

अशोक वर्मा (लम्भुआ) सुल्तानपर

तहसील लंभुआ में बादकारी जनता जो कहीं ना कहीं बहुत दूर से आती है जिसका पूर्वी छोर 22 किलोमीटर दूर है और पश्चिमी छोर 15 किलोमीटर दूर है

उत्तरी जो 13 किलोमीटर दूर है और दक्षिणी क्षेत्र लगभग 15 किलोमीटर दूर है जनता अपने मुकदमे की पैरवी हेतु साइकिल,साधन और निजी साधन से अपने मुकदमे की पैरवी करने के लिए आया करती है परन्तु लम्बे समय से मुकदमे लंबित हैं जैसा कि अचलपुर से आए बाद कारी ने बताया कि सन 1990 जब तहसील कादीपुर में थी तब से यह मुकदमा चल रहा है और जब नई तहसील का सूजन हुआ सन 1997 में यहां मुकदमा यहां ट्रांसफर हो गया परंतु आज तक कोई प्रगति नहीं है जब हमारी तारीख लगती है तो कभी हड़ताल तो कभी अधिवक्ता कार्य से विरत रहते हैं तो कभी अधिकारी क्षेत्रीय दौरा अथवा लखनऊ या फिर कभी अपने निजी कार्य से बाहर रहते हैं मुकदमे का निस्तारण की कोई समय सीमा नहीं है जबकि एक जगह लिखा पाया जाता है की बादकारी का हित सर्वोपरि है लेकिन ऐसा देखने को कहीं नहीं मिलता है तमाम मुकदमे समय सीमा बीत जाने के बाद तमाम गवाहों को भी घटना धीरे-धीरे भूल जाती है जिस कारण न्याय मिलने में तमाम असुविधाएं होती है जिनको ना तो न्यायालय ही समझ पाती है और ना ही अधिवक्ता खबर लिखने की मजबूरी इसलिए बनी कि आखिर उप जिला मजिस्ट्रेट प्रशासनिक, न्यायिक, तहसीलदार, और 2 -2 नायब तहसीलदार होने के बावजूद भी न्याय क्यों नहीं हो पा रहा है यदि इसी प्रकार न्याय की व्यवस्था चलती रही तो एक इंसान 40 साल की उम्र में यदि कोई वाद दायर करता है तो शायद हो सकता है उसके मरने के बाद ही उसे कोई न्याय मिल सके।
यह बहुत ही गंभीर सवाल है यह कोई जनपद सुल्तानपुर के लिए नहीं अपितु समूचे उत्तर प्रदेश की स्थितियां यही है, लोग न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं वही यह आवश्यक नहीं कि वह हाई कोर्ट जाकर कोई डायरेक्शन लाये और उसके बाद यह भी आवश्यक नहीं दूसरे समय सीमा के अंदर ही न्याय मिल जाएगा।
अधिवक्ताओं से निवेदन के साथ आग्रह है कि वह अपने हित के साथ-साथ बादकारी का हित भी ध्यान मी रखने की नितांन्त आवश्यकता है।
वाद का निस्तारण न होने के कारण ही लोग एक दूसरे से मिलकर या फिर द्वेष बस आमादा फौजदारी हो जाया करते हैं। बातें बहुत छोटी होती है खबर लिखने का कोई मकसद नहीं था अपितु जगाने का मकसद था आपके अंदर बैठी हुई मानवता जाग जाए और बादकारीयों का हित हो सके।

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