*नहर विभाग के लिए किसान बना मज़ाक धान की खेती के लिए नहीं मिल रहा पानी*

*नहर विभाग के लिए किसान बना मज़ाक धान की खेती के लिए नहीं मिल रहा पानी*

अशोक कुमार वर्मा

*लम्भुआ, सुलतानपुर*

सरकारी कागजों में भले ही नहर विभाग लख-दक दिख रहा हो परन्तु सच्चाई इससे हटकर है। लम्भुआ तहसील अंतर्गत चाँदा रजवहा की लम्बाई 28 किलोमीटर है। किसान अपनी खेती इसी नहर से करता है धान की सिंचाई के लिए परेशान किसान समझ नहीं पा रहा इस सरकार में अपना रोना किससे रोए एक तरफ सरकार अपनी वाह वही करने के आगे किसानों की सुनने को तैयार नहीं है दूसरी तरफ अधिकारियो ने किसानों के साथ ऐसा मज़ाक करना शुरू कर दिया है की किसानों को आत्महत्त्या करने के लिए मजबूर कर दिया जा रहा है,वहीं नहर के भरोसे रहने वाले किसान परेशानियों का सामना कर रहे हैं।लगातार नहर में पानी न पहुँचने से किसान खेती नहीं कर पा रहे है जो कर भी लिए उनकी खेती सूखने के कगार पर है

 

*हर वर्ष कागजो में होती है नहरो की खुदाई,अधिकारी खा जाते पैसा*

नहरो की खुदाई हर वर्ष की जाती रही है कागजो में पैसा भीम ख़ारिज होता रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ है इसका जीता जगता एक उदाहरण पुनिभीम पट्टी चाँदा के पास चाँदा रजबहा में देखने को मिलता है जहाँ भट्ठा मालिकों ने कई सालो से नहर को ही सडक बना लिया है खुदाई हार वर्ष होती तो यहाँ नहर सडक ना बनी होती या फिर ऐसा हो सकता है की भट्ठा मालिकों के डर से नहर विभाग यहाँ खुदाई ही ना कर पाता हो और इनपर कार्यवाही से भी डरता हो, पूरी नहर झाड़-पतवार का शिकार भी हो गई है।चाँदा रजबहा जो सकवा से होते हुए ,परसरामपुर,धारपुर,लम्भुआ नगर पंचायत के राणा नगर होते हुए बनकटवा,दूल्हापुर, मरगुपुर होते हुए चांदा के समीप से निकलकर वैतीकला जाकर पीली नदी के पास समाप्त होती है सिंचाई विभाग के एक पत्र से यह स्पष्ट होता है यह नहर ढकवा तक है लेकिन बैतीकला के आसपास तक ही यह नहर दिखती है इसका मतलब की नहर विभाग यहाँ भी नहर की खुदाई का पैसा खा जाता रहा है,नहर विभाग के अधिकारियों की माने तो नहर में पानी पूरी तरह संचालित किया जा रहा है जबकि सच्चाई इससे हटकर है।मरगूपुर के बाद नहर में पानी का कहीं अता-पता नहीं है।जबकि सैकड़ो बीघा धान की खेती नहर पर ही निर्भर है वहीं करीब 7 किलोमीटर दूरी तक जहां यह नहर सूखी हुई है वही नहर में बड़े-बड़े पेड़ पौधे सरपत-झुरमुट और जंगली झाड़ियां उगी हुई है।

*यहाँ भी देखने को मिलती है नहर में सडक*

वैतीकला के समीप अगल-बगल मौजूद भट्ठा संचालकों ने भी नहर में ही मिट्टी डालकर आने-जाने का रास्ता बना लिया है। जिस पर दिनभर भट्ठा संचालकों के दर्जनों ट्रैक्टर पर आते-जाते रहते हैं।

 

*क्या कहते है सहायक अभियंता*

 

सहायक अभियंता नीतीश चित्रांश ने बताया कि नहर में सड़क बनने की जानकारी नही है। दिखवा लेता हूं, अगर ऐसा है तो संबंधित के खिलाफ करवाई की जाएगी।

आखिर किसान अपना रोना किससे रोए सरकार सिर्फ एक काम गिनवाती है की किसान सम्मान निधि का दो हजार देते है कैसे चले किसान का घर।

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