*थाना दिवस पर कोतवाली लंभुआ में समाजसेवी संगठन ने थाना दिवस एवं तहसील दिवस पर आ रही शिकायतों को तत्काल ऑनलाइन करने का मामला प्रमुखता से उठाया*

*थाना दिवस पर कोतवाली लंभुआ में समाजसेवी संगठन ने थाना दिवस एवं तहसील दिवस पर आ रही शिकायतों को तत्काल ऑनलाइन करने का मामला प्रमुखता से उठाया*

अशोक वर्मा (लम्भुआ) सुल्तानपुर

 

आज कोतवाली लंभुआ में समाधान दिवस के अंतर्गत तमाम फरियादी आए स्पेशल युवा एंटी करप्शन टीम से सलाहकार श्री अशोक कुमार वर्मा ने इस मामले की पूर्व में जानकारी चाही थी फरियादियों द्वारा की गई

शिकायत पर क्या कार्यवाही किसके द्वारा की गई लेकिन उचित जानकारी नहीं प्राप्त हो सके कारण यह है कि जो भी शिकायतें थाना दिवस तहसील दिवस पर पड़ती है उक्त समय उपस्थित अधिकारियों द्वारा संबंधित को अग्रसारित कर दी जाती है मगर उसे ऑनलाइन फील्ड नहीं किया जाता है उक्त प्रार्थना पत्र

 

इस रजिस्टर से उत्तर दिशा में चढ़ता रहता है मगर शिकायतकर्ता को ठोस जानकारी नहीं मिल पाती ना ही उसे जांच रिपोर्ट ही मिल पाती है उक्त शिकायत कर्ताओं के लिए चिंता का विषय बना रहता है जब उसको ऑनलाइन फीड कर दिया जाए जिसके लिए आईजीआरएस क्रमांक मिलना आवश्यक होता है प्रार्थना पत्र पर अंकित मोबाइल नंबर पर ऑनलाइन होने के नाते आईजीआरएस क्रमांक ही नहीं मिलता है तो फरियादी बार-बार फरियाद करता रहे एक ही मामले को लेकर अक्सर देखने में आता है कि एक ही समस्या लेकर तहसील दिवस थाना दिवस हत्यारी दिवस में एप्लीकेशन पढ़ते रहते हैं प्रतिशत में देखा जाए तो 10 परसेंट शिकायतें भी नहीं हल हो पाती हैं इन कारणों से शिकायतों का क्रम जानकारी न मिलने के कारण बार-बार लगा रहता है। शिकायतें ना हल होने के कई कारण हैं यदि विभागों में आईजीआरएस के लिए अतिरिक्त कर्मचारी नहीं तैनात किए जाएंगे ना तो जांच ही हो पाएगी और ना ही समस्या का निदान अधिकारियों से वार्ता करने पर यह पता चलता है कि ना तो हमारे पास पर्याप्त कर्मचारी हैं और ना ही संसाधन यह हाल पुलिस विभाग का है। और यही हाल लगभग राजस्व विभाग का भी है जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है योग्यता के आधार पर किसी के पास ऐसा काम नहीं दिया गया जो तनिक भी लेश मात्र सक्षम हो।
तहसील लम्भुआ का भी वही हाल है एक-एक लेखपाल के पास 8 से 10 हल्के हैं, इस मांग को कोई भी अधिकारी प्रमुखता से नहीं कर पाता है कि हमारे हैं स्टाफ की कमी है वाह वाही लूटते अधिकारी मस्त हैं और बड़े मजे की बात है कि कोई डिमांड किसी प्रकार की कर्मचारी से संबंधित नहीं की जाती है। यही कारण है कि सरकार द्वारा समय समय पर जारी तबादला नीति का अनुपालन नहीं हो पाता, जारी होने वाली तबादला नीतियों का भी अनुपालन ढाक के तीन पात के बराबर ही होता है जबकि काफी कर्मचारी जिले में तैनात होने के बाद उन्होंने पूरी जिंदगी अपनी यहीं काट दी और बच्चों का आधार पैन सबका आता पता और पढ़ाई लिखाई इसी जनपद की होकर और कर्मचारी यहीं से रिटायर भी हो गया। यह विषय बहुत ही गम्मभीर एवं सोचनीय है माननीय जिलाधिकारी महोदया जसजीत कौर अब इस बला से कैसे निपटती हैं, अब तो राम ही जान बचाए बेड़ा पार लगाए। जनपद सुल्तानपुर महानता की श्रेणी में आता है जिले में एक सांसद चार विधायक इन आम जनता के लोगों ने दिए हैं यह आइना जीरो ग्राउंड टॉलरेंस का है। आम जनमानस के हित में क्या फैसला होता है यह हमारे शासन प्रशासन के ऊपर निर्भर करता है।

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